मैं तुझे लेने आयी हूँ….!

✍रुची शुक्ला  हर रात मेरे ख़यालों में कोई बोलती है आँखें जब भी मेरी वो खोलती है सिर्फ गहरी साँसे

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वो देखो पापा मेरे….

✍प्रियंका “मीरांत” फौलादी सा सीना रखे कभी न जो थमते रहते, चलते रहते चलते रहते वो है देखो पापा मेरे

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कोरोना के साइड इफेक्ट्स भाग-1

जितेन्द्र कुमार दुबे कुछ तो है गड़बड़ -सड़बड़ तभी तो…. हर तरफ… मची है हड़बड़-हड़बड़ ये जो गाड़ियों में…. श्रमिक

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मजदूर का सफ़र…

पूजा कुमारी “धानी” सफ़र करना हमारी नियति में है,पाँवों के ये ज़ख़्म सफ़र के छाले नहीं। कोई यूँ ही फेंक

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