मैं तुझे लेने आयी हूँ….!
✍रुची शुक्ला हर रात मेरे ख़यालों में कोई बोलती है आँखें जब भी मेरी वो खोलती है सिर्फ गहरी साँसे
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Read more✍Dhirendra Shukla मौत को मौत समझते हैं, ऐसा क्यों लोग समझते हैं। बला है मगर खूबसूरत है, लोग इस मौत
Read more✍ पूजा कुमारी “धानी” गिरते हुए पत्तों की खड़खड़ाहट कभी सुनी है, वह आह है उनकी जो आती है समूचे
Read more✍Kapil Pruthi बाप बाप होता है, थोड़ा सख्त होता है। भगवान का रूप होता है, धूप में छांव होता है।
Read more✍प्रियंका “मीरांत” फौलादी सा सीना रखे कभी न जो थमते रहते, चलते रहते चलते रहते वो है देखो पापा मेरे
Read more✍ Ashish Pal फिर सीमा पर शहादत हुई, फिर मन के भीतर बगावत हुई.. फिर हमने एक संकल्प ठाना है,
Read more✍ Ashish Pal जो पाया तुमने वह अल्प तो नहीं था, यूं हार जाना भी कोई विकल्प तो नहीं था।
Read more✍अनन्या बोस ख़त लिखना पूछकर, कहा था मैंने उसे जाने से पहले। मुझे पता था मुझे भूल जाएगा वो, उस
Read moreजितेन्द्र कुमार दुबे कुछ तो है गड़बड़ -सड़बड़ तभी तो…. हर तरफ… मची है हड़बड़-हड़बड़ ये जो गाड़ियों में…. श्रमिक
Read moreपूजा कुमारी “धानी” सफ़र करना हमारी नियति में है,पाँवों के ये ज़ख़्म सफ़र के छाले नहीं। कोई यूँ ही फेंक
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