आख़िरी ख़त….✍
✍अनन्या बोस
ख़त लिखना पूछकर,
कहा था मैंने उसे जाने से पहले।
मुझे पता था मुझे भूल जाएगा वो,
उस दुनिया की चमक ऐसी है अंधा कर देगी।
पर वो भी ठीक है अपनी जगह,
यहां आना कौन चाहता है लौटकर।
ख़त लिखना पूछकर
कहा था मैंने उसे जाने से पहले।
मगर भूल गया शायद वो मुझे
अच्छा ही हुआ वैसे।
भूल गया यहां जो खोया था,
जिनके लिए कई रातें वह रोया था।
जो उसे कभी याद नहीं करते थे,
जो उससे भूले बिसरे भी बात नहीं करते थे।
हाल नहीं पूछा उन्होंने कभी,
जो अब ‘आखरी बार देख नहीं पाए’ बोलते हैं।
ख़त लिखेगा वो पहुंचकर उन्हें,
ऐसा भी शायद सोचते हैं।
नहीं बताएगा वो,
अब कैसा है नहीं दिखाएगा वो।
उस रंगीन दुनिया का रंग कैसा है
आखिर किस बात का पता लगाना है अब….?
क्या जानना चाहते हो अब।
अगर खत लिखता भी है वो तुम्हें,
उसको जवाब दे पाओगे कोई अब।