यहाँ सावन में सास बहू रहती हैं एक दूसरे से दूर….

Poonam Masih

जुलाई का महीना है चारों तरफ हरियाली पसरी हुई है। मौसम में गर्मी के बाद थोड़ी ठंड महसूस होनी लगी है। मतलब हिंदी कैलेंडर के हिसाब से सावन का महीना है। जिसमें कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। अलग-अलग राज्य में इस महीने में अलग-अलग परंपराएं भी है। पंजाब में इस महीने का एक अलग परंपरा है। लोग मॉडर्न जरुर हो गए है लेकिन कुछ चीजें आज भी परंपरा के तौर पर बची हुई हैं। चलिए आपको बताते है सावन में पंजाबी परंपरा।

 मायके से बढ़ जाता है लगाव….

वैसे तो शादी के बाद हर लड़की को मायके की बहुत ही याद अति है लेकिन पंजाबी रीति-रिवाज के हिसाब से सावन के महीने में बहू अपने मायके जरुर जाती है। इस परंपरा के तौर पर नई बहू शादी के बाद पहला सावन अपने मायके में काटती है। इसके साथ ही बहू के घर वाले उसे लेने के लिए आते हैं और वापसी के वक्त उसके ससुराल वाले लेने जाते हैं। साथ ही कपड़े और मिठाईयां दी जाती है। जिसमे मुख्य रुप से गिरी (सूखा नरियल) प्रमुख भेंट है।

सास बहू एक दूसरे को नहीं देखती….

File Photo

पंजाबी परंपरा में ऐसा माना जाता है सावन महीने में सास और बहू एक दूसरे का मुंह नहीं देखती है। ऐसा माना जाता है यह बहुत अशुभ होता है। विशेष रुप से यह नई शादीशुदा लड़कियों के लिए होता है। ऐसा भी माना जाता है अगर कोई अपने मायके नहीं जा सकती है तो इस परिस्थिति में सास और बहू एक दूसरे से गिरी(सूखा नरियल) अदला बदली कर लेती हैं।

सावन महीने में पीग (झूला) है मनभावन….

सावन के महीने में जब लड़कियों अपने मायके जाती है तो वह उनके लिए एक आजादी का समय होता है। अपनी खुशी को दोगुनी करने के लिए सभी सहेलियों मिलकर झूला झूलती है और गाने गाती हैं। इसके साथ गिदा(नाच) किया जाता है। जहां वह दोबारा से अपनी पुरानी जिदंगी जीती हैं।

खीर और पुवा….

यह सबसे महत्वपूर्ण चीज है। कोई भी त्यौहार खाने पीने के बिना अधूरा है। सावन के आरंभिक दिनों में खीर और पुवा जरुर बनाते है। ताकि जिदंगी  में हमेशा मिठास भरी रही।

हरी चूड़ियां और मेंहदी….

बाकी परंपराओं की तरह पंजाबी परंपरा में भी शादीशुदा महिआएं हरी चूडियां औ मेहदी लगवाती है। माना जाता है इससे जिदंगी हरी-भरी रहती है।

कलमकार जनसंचार विश्लेषक हैं|

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