मैं तुझे लेने आयी हूँ….!

✍रुची शुक्ला 

हर रात मेरे ख़यालों में कोई बोलती है

आँखें जब भी मेरी वो खोलती है

सिर्फ गहरी साँसे उसकी बोलती हैं

अँधेरो से वास्ता उसका गहरा है

आधा जला हुआ सा उसका चेहरा है,

मुझे घूरते हुए वो रात गुज़ारती है

मुझे अपने साथ ले जाना चाहती है

हर जगह उसकी आहटें

हर जगह उसकी ख़ामोशियाँ

बिखरी पडी हैं

कोई राज़ है

जो वो दिखाना चाहती है

महसूस करता हूँ मै उसको

अपनी छाती पर बैठे हुए

अपने बालों से वो मेरा

गला दबाना चाहती है

रात खत्म होने के

इन्तज़ार में मैं सोता हूँ,

कभी-कभी बहुत

नशे करके मैं सोता हूँ

मै अब खुद में उसको पाता हूँ

चलो,अब मै हमेशा के लिए सोने जाता हूँ ||

कलमकार, मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वालीं हैं| और वर्तमान में जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल में जनसंचार विभाग में शोध छात्रा हैं|

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