वो देखो पापा मेरे….

✍प्रियंका “मीरांत”

फौलादी सा सीना रखे

कभी न जो थमते रहते,

चलते रहते चलते रहते

वो है देखो पापा मेरे

आसमान की ओर देखना

जिन्होंने मुझको सिखलाया है

शेर हूँ मैं उनका,

इन्होंने ये मुझको

 बतलाया है।

डर की आँखों में आँखें

डाले जो है हरदम रहते

वो है देखो पापा मेरे

जीवन की मुश्किल में रुकना

जिन्होंने मुझको न सिखलाया

नदियों सा कैसा बहना है,

पर्वत सा कैसे रहना है

उन्होंने मुझको है बतलाया

मुझमे सिमटी उनकी पूरी दुनियां

 यही बस हमेसा कहते रहते

करते कैसे स्वयं की रक्षा

बतलाते है ये पापा मेरे

मेहनत करना, सब्र है धरना

सपनों को कैसे पूरा करना

टेढ़े-मेढ़े और धूमिल रस्तों पर

बिना रुके कैसे बढ़ना

मेरी प्रेरणा, मेरे साहस

पापा मेरे सदा साथ ही रहते

कभी नहीं कहता हूँ मैं

सदा ही चुप रहता हूँ मैं

बस आज कहूँगा एक ही बात

पापा मेरे आप सबसे अच्छी सौगात।।

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