अपने ही धर्म-गुरु को ठुकरा रहा है चीन….

Comdt (retd) Sunil k Chopra

चीनी धर्मगुरु कंन्यफूसियस ने कहा था, “एकता वास्तव में लोगों को अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने की अनुमति देती है और फिर खुशी हासिल करती है”। चीन के वामपंथी विचार होने के कारण अपने इतिहास, विरासत और पूर्वजों के विरुद्ध चल रहा है अन्यथा कंफयूसियस का उपरोक्त बयान उसे जरूर याद रहता। वह आज कई देशों से पंगा लेकर अपने लोगों से भी घिरा बैठा है। उसके पड़ोसी नाराज नही, तो खुश भी नही है। उसकी विस्तारवादी नीति का हिस्सा बनकर नेपाल भी ऊल-जलूल बक रहा है, उस पर अभी तो चीनी खुमार चढ़ा है… जब उतरेगा तो अपने कपड़े फटे-नुचे पायेगा।

चीन बुद्ध धर्म के अनुयायियों का महत्वपूर्ण अड्डा बन कर भी उदार नही बन पाया। आज भी वहां बुद्ध का बहुत प्रभाव है जिनके शांति, अहिंसा के सामने संसार झुक जाता है। लेकिन आज वो उन स्थानों पर कब्जा करना चाहता है जहां बुद्ध की आत्मा स्वच्छंद विचरण करती है।

A view of memorial buildings at the Cemetery of Confucius, or Kong Lin, in Qufu city, Shandong province in China.

हम एक इंच भी भूमि नही देंगे….

चीन जानकर अनजान बन जाता है, वह अपने लोगों को भी नही बताता कि उसने कहाँ-कहाँ भारत की सीमा पर दावे ठोक रखे है और यह दावे नाजायज होते हुए भी वह हिंसा का डर दिखा रहा है। भारत किसी से नही डरता और प्रजातंत्र के ठोस आधार से हर उस कदम को तोड़ने की शक्ति रखता है जो उसके प्रिय देश के सम्मान विरुद्ध हो। याद रहे भारत का चीन के प्रति  सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, राजनैतिक जुड़ाव हमें किसी निर्णय लेने में थोड़ी हिचकिचाहट तो जरूर पैदा करता है और निर्णय में देर भी लगती है, लेकिन निर्णय सोलह आने दुरुस्त होते है, हम एक इंच भूमि भी नही देंगे। यह राम, कृष्ण की पूज्य भूमि है जहाँ न्याय और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी गई।

भारत मर्यादित व्यवहार करने की कोशिश में दुष्ट दमनकारी और विस्तारवादी चीन के सामने समर्थ होते हुए भी कभी कभी असमर्थ सा दिखाई देता है। उसका कारण प्रजातांत्रिक व्यवस्था और उसका पूर्ण अनुपालन है और कुछ नहीं, इसके कारण भी स्पष्ट देखे जा सकते है। भारत की आन्तरिक कलह, राजनैतिक रस्साकसी, विभिन्न विचारधाराओं के कारण उसके निर्णय सदैव बिखरे-बिखरे नजर आते है, लेकिन जो निर्णय सामूहिक सोच से होते है वो ठोस और गंभीर होते है। भारत मे एकता हो खासकर ऐसे विषय पर जिससे देश का गौरव जुड़ा हो और सब मिल हुंकार भरें तो बड़े से बड़े पहाड़ दरक जाएंगे। भारत शक्ति का पुजारी रहा है लेकिन दया और दान को तहरीज देता है। भारत की धरती पर बड़े बड़े युद्ध हुए जिनमे सत्य की विजय हुई। चीन उस बछड़े की तरह है जो उन्माद में अपनी टांग तोड़ लेता है और दोष धरती को देता है। आज उसकी संसार मे थू-थू हो रही है और वो अपनी शक्ति में इतना मदमस्त है कि उसकी आंखें भारत के गौरवशाली इतिहास, परम्परा और अन्याय के विरुद्ध उसकी एकता की शक्ति देख नही पा रही।

चीन कन्फ्यूसियस को माने या न माने लेकिन भारत उनका आदर करते हुए एकता के साथ चीन को पाठ पढ़ायेगा कि उसकी विचारधारा और सामंतशाही, विस्तारवादी सोच सदैव के लिए शून्य हो जाएंगी।

कलमकार सशस्त्र सीमा बल  के रिटायर्ड अधिकारी हैं।

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