अम्फान तूफान से ओडिशा के बचने की पीछे की कहानी…
VOB Desk
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आये अम्फान चक्रवात के कारण भारी नुकसान हुआ। चक्रवात के बाद शुक्रवार को पीएम मोदी पश्चिम बंगाल और ओडिशा के दौरे पर गए। सबसे पहले कोलकाता पहुँचने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ तूफ़ान प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया। साथ मुख्यमंत्री सहित आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की, बंगाल दौरे के दौरान पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल को राहत के तौर पर 1000 करोड़ रु. की घोषणा की।
ततपश्यात पीएम मोदी ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ राज्य के तूफ़ान प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा किया, साथ राज्य के लिए 500 करोड़ देने की घोषणा की। हालांकि घोषणा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खफा दिखी प्रधानमंत्री के बंगाल छोड़ते ही उन्होंने कहा कि तूफ़ान से राज्य में नुकसान एक लाख करोड़ का हुआ है जबकि मिला है सिर्फ 1000 करोड़ रुपए। इसके साथ ही उन्होंने कहा पैकेज के बारे में प्रधानमंत्री मोदी कोई जानकारी नहीं दे गए है कि वह कब मिलेगा या अग्रिम राशि है। जबकि केंद्र पर हमारा 56 हज़ार करोड़ पहले से ही बाकी है।
अम्फान से बंगाल में 80 मौत, लेकिन ओडिशा को ज्यादा हानि नहीं…
आपको यह मालूम होना चाहिए, जो अम्फान चक्रवात ओडिशा के तट से 170 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से टकराया, उससे ओडिशा को खासा नुकसान नही पहुंच पाया। जबकि पड़ोस के पश्चिम बंगाल में करीब 80 लोगों की जान चली गई। जबकि यहाँ तूफान की गति करीब 130-150 किमी/घंटा बची, जो कि ओडिशा से कम हो चुकी थी ओडिशा में इस तूफान की गति लगभग 180 किमी/घंटा थी ।
2020 तक ओडिशा कम से कम 6 खतरनाक तूफान झेल चुका है। इनमें 2013 का फैलिन, 2014 का हुदहुद, 2018 का तितली, 2019 में फैनी और बुलबुल तूफान और अब 2020 में अम्फान आफत बनकर बरसा है ।
दरअसल ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 20 साल पहले वर्ष 2000 में जब ओडिशा के मुख्यमंत्री का पद संभाला, तब राज्य की आपदा से लड़ने की ताकत न के बराबर थी। तो फिर इतना बदलाव कैसे लाए नवीन पटनायक, आइये हम आपको बताते हैं ।
बात वर्ष 2000 की है… अपने पिता जनता दल की नींव रखने वाले बिजयानंद बीजू पटनायक के बाद ओड़िया न जानने वाले नवीन के लिए मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी निभाना काफी मुश्किल था और ये वो समय था जब ओडिशा में एक साल पहले ही (1999 में) सुपर साइक्लोन से 10,000 लोगों की जान चली गई थी और राज्य पूरी तरह तबाह हो गया था।
मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद नवीन पटनायक ने राज्य में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की एवं ओडिशा के पूर्व मुख्य सचिव एपी पधी के मुताबिक, ज्यादातर समय ओडिशा से बाहर पढ़ाई करने वाले नवीन ने बेहद कम समय में ही ओडिशा के बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदाओं से निपटने का रोडमैप तैयार कर दिया। ये एक तरह से आपदा से निपटने की त्वरित कार्यवाही थी, जिस पर नवीन पटनायक ने पुरजोर बल दिया ।
पटनायक सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट में खुद को मजबूत करने के बाद ‘जीरो कैजुअल्टी’ यानी आपदा से एक भी मौत न होने का लक्ष्य रखा। हालांकि, पिछले 20 सालों से उनका यह लक्ष्य लगातार चूक रहा था। वर्ष 2013 में तूफ़ान फैलिन की वजह से 44 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 2014 में हुदहुद से भी 3 मौतें हुईं। इसी तरह तितली चक्रवात से गोपालपुर के पास भूस्खलन से 59 लोगों की मौतों का ये सिलसिला जरी रहा, जबकि 12 अन्य लोग उस समय लापता भी पाए गए थे।
अब ये समय था वर्ष 2019 का एक और भयंकर तूफ़ान ओडिशा के तट से टकराया इसका नाम था फैनी। फैनी तूफान ने भी ओडिशा में जमकर तबाही मचाई और शहर पुरी में काफी मात्र में भूस्खलन हुआ। इस वर्ष राज्य में 64 लोगों की जान गई, इसके बाद इसी वर्ष अक्टूबर में बुलबुल तूफान ओडिशा के तट से गुजरा और फिर दो लोगों की जान ले गया।
दो दिन पहले का मंजर हम सब देख चुके हैं, हाल में आये अम्फान तूफान से हुई मौतों का आंकड़ा साफ होने में बेशक अभी कुछ समय लगेगा, ओडिशा के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में 80 लोगों की मृत्यु का आंकड़ा स्पष्ट किया जा चुका है, लेकिन ओडिशा सरकार को अब तक एक भी मौत की जानकारी नहीं मिली है। तो क्या ये मान लिया जाय कि ओडिशा अब अपने जीरो कैजुअल्टी के लक्ष्य को हासिल करने के करीब आ गया है?
आपको बता दे 21 मई को आये इस चक्रवाती तूफान अम्फान के कारण बंगाल में लगभग 400 झोपड़ियां पूरी तरह से तहस नहस हो गयीं हैं । तूफान की तीव्रता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि रोड में खडे ट्रक और बस तक सूखे पत्तों की तरह बिखर गए ।