कोरोना महामारी के बाद इस प्रकार से होगी जीवन शैली…

विवेक उपाध्याय

सोचिये कोरोना महामारी के 5 साल बाद आज हम 2025 में जी रहे हैं, अब यहाँ से जब हम पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे कि विश्व में आज एक नई व्यवस्था स्थापित हो चुकी है। वैक्सीन मिलने के बाद भी लोग दुकानों और रेस्टोरेंट्स में जाने से कतरा रहे हैं विकासशील देशों का बुरा हाल हो चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलीकरण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।

अगर हम इतिहास को खंगालेंगे तो पाएंगे कि पूरी मानव सभ्यता में महामारियो की मौजूदगी अनिवार्य रूप से देखने को मिलती रही है। यह कुछ नया या फिर पहली बार घटित नहीं हो रहा, आगे भी  महामारियो का दौर जारी रहेगा, विकास का दूसरा पहलू भी सत्य की तरह घटित होता है या सामने आता है।

हर्षोल्लास भी नीरसता से मनाया जा रहा है

कभी हर्षोल्लास के लिए मशहूर नया वर्ष हमारी उम्मीदों और सपनों को नई उड़ान दिया करता था, पूरी दुनिया में यह उत्साह का पर्व एक साथ मनाया जाता था। लेकिन लोगों में अब नए साल के मायने लगातार बदलते जा रहे हैं कारण कोविड-19, 5 साल पहले आधुनिकता की दौड़ लगा रही इस दुनिया में वैश्विक महामारी बन कर सामने आना और एकाएक सब कुछ थम सा जाना, विकास की रफ्तार को रोककर इस महामारी ने विनाश की रफ्तार पकड़ ली थी और चारों तरफ लाखों मौतें और करोड़ों संक्रमितों की एक लंबी श्रृंखला निरंतर बढ़ती जा रही थी। इंसानों को मजबूरन जानवरों की तरह पिंजड़े में कई महीनों तक कैद होना पड़ा था। आजादी शब्द मानो प्रकृति ने इंसानों से वापस लेकर अन्य जीव-जंतुओं को दे दिया गया था या फिर प्रकृति अपने जख्मों का बदला ले रही थी जो मानव जाति ने उसे अपनी क्रूरता की हद में जाकर दिये हैं!  

दिसम्बर 2019 की वो गलती अब तक भुगत रहे हैं…

चीन का वुहान शहर पूरी मानवता के लिए किसी श्राप से कम साबित नहीं हुआ था। पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाला वायरस समूचे विश्व की स्वास्थ्य सेवाओं को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। विकसित और विकासशील देशों में तबाही का यह मंजर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आदि अनगिनत खतरे पैदा कर दिए और नेताओं में दूरदर्शिता की कमी के परिणामस्वरूप यह हुआ था कि इस विकसित सदी में मानव के पास सब कुछ होते हुए भी वह इस महामारी को जल्द रोक नहीं पाया। वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा गई, विकासशील देश कर्ज़ में डूब गए, बहुत दिनों तक घर में रहने के कारण लोगों में डिप्रेशन और कई अन्य मानसिक बीमारियों ने अपना स्थान बना लिया।              

सरकारों पर निरंतर सवाल दागे जा रहे हैं…       

वहीं दुनिया में राष्ट्रवाद, निगरानी और तानाशाही काफी ज्यादा बढ़ गई जिसका नतीजा ये हुआ कि सरकार के प्रति जनता का आक्रोश सड़कों पर दिखने लगा, आंकड़ों के साथ छेड़छाड़, सूचनाओं में असमानता और इजरायल की उम्दा नीति जो उसने संक्रमितों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ताओं के सेल फोन डाटा का रिकॉर्ड लेना शुरू किया, जल्द ही यह दूसरे देशों के लिए एक मॉडल बन गया था, जबकि किसी ने यह आज तक नहीं बताया कि वह इस डाटा का क्या करने वाले थे। मामला यहीं नहीं थमा उस महामारी का फायदा दुनियाभर की सरकारों को पूर्ण रूप से मिला। विपक्षी पार्टियों को अनसुना कर दिया गया। सीमाओं को सील कर दिया गया था, मतदान रोक दिया गया, व्यापार को सीमित कर दिया गया। पर्यटन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकारों की नाकामियों के कारण लॉकडाउन लगातार बढ़ता गया। नागरिक स्वतंत्रताओं के कमजोर पड़ते ही सरकार शक्तिशाली बन कर उभरी ऐसे में ट्रंप अमेरिका में एक कल्याणकारी राष्ट्र के राष्ट्रपति के तौर पर सामने आए जिसका सपना पहले बर्नी सैंडर्स ने देखा था इस महामारी का नतीजा यह हुआ कि कुछ ऐतिहासिक फैसले रातों-रात बिना किसी विरोधाभास के ले लिए गए।

हर घर ऑफिस में तब्दील हो गया है…

कोरोना के चलते विश्वभर में करोड़ों नौकरियां छीनी जा चुकी है। लोग रोजगार की तलाश में निरंतर भटक रहे हैं, वहीं अब लोग ज्यादा से ज्यादा डिजिटल एजुकेशन पर ध्यान दे रहे हैं। सारी बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने और ऑफिस को बंद करने का एलान कर दिया है  वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दिया जाने लगा अब लोगों में डिजिटलाइजेशन एक महत्वपूर्ण जरूरत बन चुका है। भारत जैसे देशों ने दूसरे देशों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफलता पाई है सभी देशों के लिए कृषि और लघु उद्योगों को लगातार बढ़ावा दिया जाने लगा। सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना हैंडवास, लोगों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया। लोगों में एक नई जीवनशैली की उत्पत्ति हुई है और एक नए सभ्य आचरण की भूमिका देखने को मिलती है!

लोगों में अपनों को खोने का दुख आज भी उनकी आंखों में झलकता देखा जा सकता है। लोग दुकानों और रेस्टोरेंट्स तथा विमानों पर सफर करने से कतराने लगे हैं, खर्च करने की क्षमता कुछ कम हो गई है। सैकड़ों बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो गया, सरकारों ने हर उस उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली है, जिसको उसने महामारी के दौरान कभी उठाया था, कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले विकसित देशों में पहुंचाया गया। विकासशील देशों में यह आज भी पोलियो टीका अभियान के तहत चलाया जा रहा है। अमेरिका चाइना का वाक् युद्ध अब डाटा हैकिंग और बायोलॉजिकल हथियारों तक पहुंच गया है, दुनिया मंदी के साए से उभर पाने में अब तक सफल नहीं हो पायी है। अब इंसानों की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। गाड़ियां बिना ड्राइवर के सड़कों पर अपनी रफ्तार बढ़ा रही है।

आबादी बेहिसाब बढ़ी है…

आज विश्व की आबादी 9 अरब के आसपास पहुंच चुकी है और लोगों के सामने जीने के लिए शुद्ध हवा, पानी और अच्छे खाने की तलाश उसको लगातार परेशान कर रही है। दुनिया के पूंजीपतियों ने स्पेस प्रोग्राम को साइन कर दिया है। अगली लड़ाई शायद महामारी तो नहीं लेकिन पानी का युद्ध तेजी से बढ़ती दुनिया को रोक सा देगा और जलवायु परिवर्तन मानव सभ्यता को बड़े परिवर्तन की ओर बढ़ा देगा जिसमें उसका अस्तित्व और उसका विकास दोनों एक इतिहास बन कर रह जाएंगे!!

…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….

डिस्क्लेमर: यह कलमकार के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि यह विचार या राय VoxofBharat के विचारों को भी प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां कलमकार की हैं अतः VoxofBharat उसके लिए ज़िम्मेदार नहीं है।

              

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *