कोई ख़्वाब टूटा है….

Ashish Pal

जो पाया तुमने वह अल्प तो नहीं था,

यूं हार जाना भी कोई विकल्प तो नहीं था।

तुम जो यूं मुंह मोड़ कर गए हो,

पीछे कई सवाल छोड़ गए हो।

यूं मर जाना तुम्हारा अपना फैसला था,

पर तुमने जुड़ा ना जाने कितनों का हौसला था।

हर वो शख्स अपने बड़े ख्वाब से डरेगा,

गिरने के डर से कोई पंछी कैसे ऊंची उड़ान भरेगा।

है कितना दर्द इस जहां में,

थोड़ा-थोड़ा सबके हिस्से आएगा।

तुम जितना डरोगे इससे,

ये तुम्हें इतना डरायेगा।

दर्द की धुन पर थिरकना सीख लो,

सुख-दुख का फर्क ही मिट जाएगा।

कोई ख़्वाब टूटा है,

या कोई अपना रूठा है।

नया ख्वाब फिर सजाओ तुम,

रूठे को मनाओ और खुद मान जाओ तुम।

मन की गिरहें खोल दो,

कड़वे में कुछ मीठा घोल दो।

आओ बैठो पास मेरे

है भरा जो गुबार भीतर,

आज सब कुछ बोल दो….।।

कलमकार, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद में सहायक प्राध्यापक हैं ।

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