बाकी सब तो बढ़िया है…
श्रुति दीक्षित – 17/05/2020 1:36 AM
वैसे तो तुझ से ए ज़िन्दगी,
शिकायत नही मुझ को कोई।
और देखूं भी जब मैं तुझको,
दिखता भी सब कुछ बढ़िया है।
भले ही
साल है बीतें, बरस है निकले,
रसोई ने मुझको पकड़ा है।
पर ऐ मेरी ज़िंदगी,
बाकी सब तो बढ़िया है।
“अजी सुनते है” से लेकर,
अब उन्होंने भी, ना सुनने की आदत को जकड़ा है।
पर ऐ मेरी ज़िंदगी,
बाकी सब तो बढ़िया है।
“मम्मा कौन सी ड्रेस अच्छी है” सेहोकर
“माँ, THIS IS FASHION” के लफ़्ज़ों को उसने अब
पकड़ा है।
लेकिन ऐ मेरी ज़िंदगी,
बाकी सब तो बढ़िया है।
फिर भी सोचती हूं कई बार,
ज़ेहन में भी उठते है कई सवाल।
किकर के अपनी पूरी ज़िंदगी,
इन सब पर निहाल।
क्या सचमुच सिर्फ
“येही”
“मेरी खुशियों का ज़रिया है?”
लेकिन फिर भी तुझसे नही
शिकायत मुझे कोई
ऐ ज़िन्दगी क्योंकि
“बाकी सब तो बढ़िया है।”
Bohot hi khubsurti se likha hai!
Aapke ye shabd hame achche lage.
Aise he kaam karte rahiye. Hamara desh tarakki kr rha hai aap jaise yuvaao ke wajah se.
बहुत बढ़िया कविता है
सच में बाकी सब तो बढ़िया है,,
जिंदगी ।।।।।।।।।
👌👌👌👌👌
very nice
keep it up