35 वर्ष बाद राजा मानसिंह हत्याकांड पर फैसला….
Team VOB
मथुरा की जिला एवं सत्र न्यायालय ने राजस्थान के चर्चित भरतपुर के राजा मानसिंह हत्याकांड में तत्कालीन CO सहित 11 पुलिसकर्मियों को IPC की धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी करार दिया, और आज इन सब को फांसी की सजा भी सुना दी गयी। इससे पहले मार्च 1985 में सीबीआई ने जांच शुरू की। तत्पश्चात वर्ष 1989 में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर इस मामले को मथुरा कोर्ट को हस्तांतरित किया गया। ऐसा कहा जाता है कि यह मामला 90 जज के बीच से गुजरा। इस मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से 3 लोगों की मृत्यु हो गई बाकी 4 पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।
आखिर मामला क्या था….
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर भरतपुर जिला के डींग विधानसभा में 20 फरवरी 1985 को जनसमूह को संबोधित करने आने वाले थे। राजा मानसिंह जमाने से उस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ते आ रहे थे और वहां से चुनाव जीत भी रहे थे। यह सीट कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी हुई थी इसीलिए इस सीट को जीतने के लिए खुद मुख्यमंत्री डीग विधानसभा के रण में उतरे। उस समय कांग्रेस ने डीग विधानसभा से वीरेंद्र सिंह को राजा मान सिंह के खिलाफ खड़ा किया चुनाव प्रचार का दौर चल रहा था उसी दौरान राजा मानसिंह के किले पर भरतपुर राजघराने का प्रतीक चिन्ह के रूप में पताका थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किले में अंदर घुसकर उस पताका को उतारा और कांग्रेस का झंडा लगा दिया जिसकी खबर राजा मानसिंह को हुई।
राजा मानसिंह कांग्रेस के इस दुस्साहस को सहन नहीं कर सके और वह अपनी जीप लेकर मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर की तरफ बढ़े जहां उन्होंने खड़े हेलीकॉप्टर में टक्कर मारी। उसके बाद रैली स्थल पहुंचे जहां पर चंद मिनट पहले मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने जनसमूह को संबोधित किया था। राजा मानसिंह ने गुस्से में आग बबूला होते हुए रैली में लगे मंच को जीप से टक्कर मार दी। पुलिस ने राजा मानसिंह के इस कृत्य के खिलाफ केस हत्या की कोशिश का मामला भी दर्ज किया। इसकी खबर मुख्यमंत्री शिव चरण माथुर तक पहुंची। राजनीतिक हलकों में यह खबर रही थी। पुलिस को आदेश दिया गया कि राजा मानसिंह के खिलाफ कार्रवाई करें।
अगले दिन यानी 21 फरवरी 1985 को पुलिस को यह खबर मिलती है कि राजा मानसिंह डींग थाने के बाहर से चुनाव प्रचार के लिए निकल रहे थे, तभी तत्कालीन CO कान सिंह भाटी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने उन्हें और उनके साथियों को घेर लिया ताबड़तोड़ फायरिंग की। राजा मानसिंह और हरि सिंह सहित अन्य तीन चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई राजा मानसिंह का शव उनकी जीप में ही मिला।
इस गोली कांड के बाद डींग थाने के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने उनके दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ धारा 307 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया और उनके दामाद विजय सिंह सिरोही और उनके सहयोगी बाबू सिंह को 21 फरवरी को ही गिरफ्तार कर लिया गया हालांकि उसी रात उनकी जमानत भी हो गई। इसके अगले दिन राजा मानसिंह के दामाद विजय सिंह सिरोही ने डींग थाने में राजा मानसिंह एवं अन्य दो लोगों की हत्या के मामले में सीओ कान सिंह भाटी और एसएचओ वीरेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
मुख्यमंत्री का इस्तीफा….
इसी बीच राजा मानसिंह की हत्या की खबर पूरे राजस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिले जो कि जाट बाहुल्य थे वहां तक पहुंच चुकी थी सभी जगह हिंसक प्रदर्शन होने लगे राजस्थान के जिला भरतपुर और उसके आसपास के इलाकों में सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा। लोगों ने फर्जी एनकाउंटर तक बता दिया। इन हिंसक प्रदर्शनों में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई इसकी वजह से तत्कालीन CO का तबादला कर दिया गया। यह खबर आग की तरह दिल्ली दरबार तक पहुंची।
इसी बीच मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का बयान राजा मानसिंह की हत्या को लेकर आया उस बयान मुख्यमंत्री माथुर ने कहा कि पुलिस द्वारा मुझे यह जानकारी दी गई कि राजा मानसिंह ने मेरे हेलीकॉप्ट क्षतिग्रस्त किया, जिसमें कि पायलट घायल हो गया और यही नहीं जहां मैंने रैली की उस मंच को भी तोड़ा गया। मैंने जिलाधिकारी को कहा कि मेरी राजा मानसिंह से बात करवा दें मैं उनसे बात करना चाहता हूं काफी अच्छे संबंध हैं मेरे और उनके। लेकिन मेरी उनसे बात नहीं हो सकी अगले दिन मुझे उनकी हत्या के समाचार प्राप्त होते हैं। मैंने उनकी हत्या की जांच के आदेश भी दे दिए। लेकिन दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुझे फोन आया कि कि इस हत्याकांड से भरतपुर और उसके आसपास के जिलों में हमारा जाट वोट बैंक छटक सकता है इसलिए आप इस्तीफा दे दें तो मैंने आलाकमान के कहने पर इस्तीफा दे दिया।
मथुरा की जिला एवं सत्र न्यायालय की न्यायाधीश रानी ठाकुर ने सभी आरोपियों को कस्टडी में लिया और आज इन सबको फांसी की सजा भी सुना दी गयी है।
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