लॉकडाउन से बोर हो रहे हैं, “अलसाइए नहीं, मुस्कुराइये और दिमाग लगाइए”

श्रुति दीक्षित

विपत्ति में मुस्कुराते हुए आगे की राह निकालना हम भारतीयों की परम पहचान रही है, हालांकि इस बार समय कुछ ज्यादा हो गया है दो महीने से बैठे-बैठे बोर हो गये हैं क्योंकि मन मसोसे हुए, न चाहते हुए भी घर पर रहना पड़ रहा है, इतने समय से एक ही जगह पर रहने से थोड़ा सा मन तो उचटेगा ही, तो आपको श्रुति दीक्षित का ये लेख अवश्य पढ़ना चाहिए ।

कोरोना वायरस के कारण भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है। जिसके खत्म होने के अब तक कुछ भी आसार नजर नही आ रहे है। आज तक हमने सुना था कि “चाहे कुछ हो जाए दुनिया चलती रहती है” पर इसने तो मानो इस पंक्ति पर एक पूर्ण विराम सा लगा दिया है।

जहां एक तरफ पूरी दुनिया एक वैश्विक बीमारी से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ लोगों को इसकी मार को झेलते हुए अपने ही घरों में क़ैद रहना पड़ रहा है। लेकिन ये दर्द अब नासूर बन गया है। लोगों को अब अपने ही घर मे रहना मानो एक बंधी की तरह महसूस सा हो रहा है।

आइये हम आपको बताते है कि, इसकी वजह क्या है? और फिर अब ऐसा क्या हुआ है…आख़िर कल तक तो हम अपने काम से छुट्टी लेकर घर पर रहने की चाहत रखते थे, तो कोरोना की वजह है घर पर रह कर होने वाली बोरियत। मसला यह है कि आम आदमी घर में बैठकर करे तो क्या करे और इसी कारण आज शारीरिक रूप के साथ साथ लोग मानसिक रूप से भी बीमार होते जा रहे है। लेकिन ऐसे वक्त में ज़रूरी है हम सभी सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान दे। भले ही हम आज अपने घरों में बंद है लेकिन इसके साथ हम आज हर वो सपने को पूरा कर सकते है जिनके शौक़ हम कभी पाला करते थे। हर उस कला में माहिर हो सकते है जिसको हमने वक़्त ना होने के कारण कहीं पीछे छोड़ दिया था। हर वो ख्वाहिश को पूरा कर सकते है जिनको देखकर हम उनको अपनाना चाहते थे। या यूं कहें तो ये हमारी हर तरह से एक नई शुरुआत है। तो इस लॉकडाउन को चुनौती ना मानते हुए हम इसमे बहुत कुछ कर सकते है:

रिश्तों को संवारने का झन्नाटेदार मौका

अक्सर भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में हम अपने साथ रहने वालों के लिए भी बहुत कम वक़्त निकल पाते है। जिससे कि हमे उनकी नाराज़गी का सामना करना पड़ता है, पुरानी सारी नाराजगियों को दूर करने का यही एकदम झन्नाटेदार मौका है, तो आज से बेहतर वक़्त अपने रिश्तों को सुधारने और संवारने का हमको शायद ही कभी मिले। इसीलिए अपने दोस्त-यार, परिवार वालों से बात करे, कुछ अपनी कहे… कुछ उनकी सुने।

ताबड़तोड़ किताबें पढ़िए और बन जाइये अपने गुरु

वो कहावत है ना “अ बुक इस योर बेस्ट फ्रेंड” तो इस मुश्किल की घड़ी में किताबों से दोस्ती करना बहुत ही फायदे का सौदा है। ये ना सिर्फ हमारा अच्छा टाइम पास करेंगी बल्कि हमारे ज्ञान को भी बढ़ाने में मदद करेंगी इसीलिए अपने पसन्द की कोई भी किताब या कोई भी चहेते लेखक की किताबों से रूबरू होने का ये बहुत अच्छा मौका है। लेकिन अब इसमें भी एक समस्या ये हो सकती है कि हमारे पास किताबें ही ना हो, तो इसका भी इलाज है। अपने मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप, कंप्यूटर जिनका इस्तेमाल हम अक्सर दूसरे कामों के लिए करते है…तो आज क्यों ना उनको ही हम अपनी किताबें बना ले।

बताइए हुनर लिए बैठे हैं, फिर भी बोर हो रहे हैं

हर व्यक्ति के अंदर कुछ ना कुछ टैलेंट ज़रूर होता है, जिसको बढ़ावा देने का ऐसा सुनहरा मौका फिर कभी नही आएगा। ज़िन्दगी की जद्दोजहद में अपने शौक़ जो पीछे रह गए थे उनको वापिस से अपने आज में लाने का और कुछ वक़्त उनके साथ बिताने का मज़ा ही कुछ और है। तो वो दराज़ में रखा गिटार निकल कर ट्यून इन कर ले, वैसे अपने को दिल खुश कर देने वाले पकवान भी बनाये जा सकते हैं, या फिर वो जो पुरानी ड्राइंग बुक में आधी चित्रकारी करके छोड़ रखी है ना उसको पूरा कर लें। उपाय बहुत है बस उनको ढूंढने वाला होना चाहिए।

जान जाइये खुद को, इतना बढ़िया मौका फिर नहीं मिलेगा

ज़िन्दगी में हम सबको वक़्त देते देते, खुद से कितने दूर हो जाते है हमको पता ही नही चलता। तो ये लॉकडाउन, खुद लिए वक़्त निकालने का बहुत ही अच्छा समय है। हम दूसरों को तो बखूबी जानने लगते है लेकिन सालों साल जी जाने के बाद भी हम खुद क्या चाहते है वो नही समझ पाते है। खूब मैडिटेशन करिए, जमकर योगा करिये अपने बारे में जानने, समझने का इससे अच्छा मौका शायद ही कभी कोई मिले।

नई चीज़ें सीखने से अभी कोई नहीं रोकेगा

लॉकडाउन ने बेवजह कहीं आने जाने और लोगों से मिलने पर रोक लगाई है। जिसने हमको कुछ वक्त के लिए कुछ चीज़ें करने से रोका है। लेकिन हमारे ज़िंदगी जीने के अंदाज़ पर रोक नही लगी है। और वो कहते है ना कि “कुछ सीखने की कोई उम्र नही होती” इसीलिए हम इस समय का इस्तेमाल कर जितनी नई चीज हो पाए वो सीख सकते है, इस समय का इस्तेमाल कर जितनी नई चीज हो पाए वो सीखी जा सकती है- जैसे खाना बनाना, कहानी लिखना और भी वो सब कुछ जो कभी हमारी ख़्वाहिश रही थी। तो मुश्किल की इस घड़ी में जब आगे बढ़ना ही है तो क्यों ना अपने आलस, बोरियत को दूर करते हुए और मन पर काबू रखकर एकदम ताबड़तोड़ तरीक़े से इस मुश्किल वक़्त का सामना किया जाए क्योंकि इस घड़ी में अपने मन पर काबू रखकर आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता होना चाहिए ।

हम भारतवासियों की सम्पूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान जो बनी हुई है उसको कायम रखना हमारा फर्ज है, विपत्ति में अवसर ढूंढने वाला हमारा मस्तिस्क कभी भी हार नहीं मान सकता, इसके पहले भी कई तरह की विपत्तियाँ हम पर आयीं, हम गिरे, संभले और उठ खड़े हुए। बस यही निश्चय हमें अभी लेकर चलना है और हमारी कला, संस्कृति एवं सभ्यता के समागम को साथ लेकर आगे बढ़ना है। 

2 thoughts on “लॉकडाउन से बोर हो रहे हैं, “अलसाइए नहीं, मुस्कुराइये और दिमाग लगाइए”

  • May 22, 2020 at 10:59 pm
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    Very nice article👏 these ideas can really make this lockdown interesting for so many people.

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  • May 25, 2020 at 12:14 pm
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    Great work , good going 👍❤️

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