इनके दिए हुए जख्म पकिस्तान आज भी नहीं भुला पा रहा है….

VOB Desk

जन्मदिन विशेष: लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे

1947 में देश के आजाद होने के बाद हिन्दुस्तान- पकिस्तान दो अलग देश बन गये थे। इसके बाद पकिस्तान ने भारत के प्रति अपनी घिनौनी करतूत दिखाना शुरू कर दिया था। इस वक्त भारतीय सैनिकों ने पकिस्तान का न केवल डटकर मुकाबला किया,  बल्कि उसे शिकस्त का एक जो जख्म दिया था उसे पकिस्तान शायद ही आज तक भुला पाया हो।

सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा रोघोवा राणे ने ध्वस्त किये थे नापाक इरादे….

वैसे तो पूरी भारतीय सेना एक होकर ही किसी भी योजना पर कार्य करती है लेकिन 1947 की इस लड़ाई में लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे की भूमिका बेहद अहम रही जिसके लिए उन्हें बाद में परम वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1940 में राघोवा राणे ने भारतीय सेना को ज्वाइन किया था।  लेफ्टिनेंट राणे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से काफी प्रेरित थे और इसी वजह से उन्होंने देश सेवा के लिए कर गुजरने की सोची और एक सैन्य कर्मी के रूप में अपने कैरियर को चुना, सेना में उन्हें 26वीं इन्फेंट्री डिवीज़न की इंजीनियरिंग यूनिट में भर्ती किया गया जहाँ उन्हें बांबे इंजिनियर्स के साथ रखा गया। कुछ ही दिनों में रामा राघोवा राणे के पराक्रम को देखते हुए उन्हें सेकेंड लेफ़्टिनेंट के रूप में कमीशंड ऑफिसर बना दिया गया और इसके बाद उनको जम्मू कश्मीर के लिए रवाना कर दिया गया।

File Photo

और यहीं से शुरू हुआ पाक की कमर तोड़ने का सफ़र….

यह भारत-पकिस्तान के विभाजन का समय था और जिस वक्त लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे को जम्मू कश्मीर में तैनात किया गया तब भारत का पाकिस्तान के साथ सबसे पहला युद्ध (1947) चरम पर था, और भारतीय वायु सेना पहले से ही अपने शौर्य का परिचय दिखा रही थी। उस पर लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे और उनकी टीम ने बारवाली रिज, चिंगास और राजौरी पर कब्जा करने के लिये नौशेरा-राजौरी मार्ग में आने वाली उन सभी भौगोलिक रुकावटों को अपनी रणनीति के तहत हटा दिया जो आगे बढ़ने और पकिस्तान की सुरंगों को साफ़ करने में बाधक बन रहीं थी।  भारतीय सेना के इस मिशन में रामा राघोवा राणे की सूझबूझ ने कमाल कर दिखाया और हिन्दुस्तान के टैंको ने पकिस्तान की जबरदस्त तरीके से कमर तोडी।

सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे के इस अदम्य साहस के लिए उन्हें 8 अप्रैल 1948 को सेना के सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र से नवाजा गया।

काफी उतार चढाव भरा जीवन रहा ….

लेफ्टिनेंट रामा राघोवा राणे का जन्म वर्ष 1918 में आज ही के दिन यानी 26 जून को महाराष्ट्र के धारवाड़ जिले के हवेली गाँव में हुआ था। पिता के एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रान्सफर के चलते राघोवा राणे की प्राम्भिक शिक्षा भी काफी बिखरी बिखरी सी रही। वर्ष 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन से राघोबा राणे बेहद प्रभावित हुए और इसी  वजह से उन्होंने आगे देश सेवा के लिए भारतीय सेना को चुना। राघोवा राणे वर्ष 1968 में सेवानिवृत्त हुए और 11 जुलाई 1994 को उनका निधन हो गया।

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