कविता कावेरी
गुलाम-ए-आराम-जिन्दगी
मौसम जायसवाल – 19/05/2020 9:44 AM
ज़िंदगी चल नहीं रही, तसल्ली से किसी कोने में पड़ी आराम फ़रमा रही है।
ऐसा लगता है मानों मैं कोई मानव नहीं मशीन हो गया हूँ।
मौसम जायसवाल – 19/05/2020 9:44 AM
ज़िंदगी चल नहीं रही, तसल्ली से किसी कोने में पड़ी आराम फ़रमा रही है।
ऐसा लगता है मानों मैं कोई मानव नहीं मशीन हो गया हूँ।