कोरन्टीन भाग-2
जितेन्द्र कुमार दुबे
साजन…..!
आ गए तुम
अच्छा चलो बताओ
क्यों गए तुम चीन…?
वहाँ से लेकर आये
कोविड नाईनटीन…।
गर मान जाते,
न जाते तुम चीन….
हर कला में तुमको
करती मैं प्रवीन…!
करती श्रृंगार मैं,
नित नवीन….
दिखता न कभी
तेरा मुख मलीन…!
बावले हो गए थे तुम…
जो चले गए तुम चीन….
लौटे तो तुम…
पर…..!
खुद ही हो गए कोरन्टीन
कैसे कहूँ…!
किससे कहूँ…!
ब्यथा अपनी महीन….
कभी तुम…
कभी मैं…
अगर इसी तरह,
होते रहे कोरन्टीन…
कैसे होंगे हम दो से तीन….
सृजन अधूरा रह जायेगा…
साजन…..!
चिन्ता है यह अंतहीन……
यह अंतहीन….!!
कलमकार उत्तर प्रदेश पुलिस में उपाधीक्षक (शाहगंज, जौनपुर) हैं।