बिहार चुनाव: कम करने के बजाय उम्मीदवारों का खर्च बढाने पर जोर….

Team VOB

बिहार विधान सभा चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च करने के राशि बढ़ाने की उम्मीदें हैं। अटकलें लगाई जा रहीं है कि चुनाव आयोग ने इसमें संशोधन के लिए कानून मंत्रालय को सिफारिश किया है। पहले खर्च करने की सीमा 28 लाख थी जबकि अब इसको 30 लाख करने की चर्चा हो रही है। जिसका कारण कोरोना महामारी को बताया जा रहा है । एक तरफ पूरा देश इस कोरोना काल की वजह से मंदी के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में हम सभी ने यह देखा की देश की GDP शून्य से भी नीचे चली गयी है GDP में भारी गिरावट होने के बावजूद भी नेताओं के पास इतनी राशि है। अगर पिछले चुनाव की बात करें तो उस समय 28 लाख तक खर्च करने की सीमा थी जो अधिकारिक तौर पर किसी भी उम्मीदवार ने खर्च नहीं की थी।

मजे की बात ये है की राशि को बढ़ाने की मांग भाजपा के तरफ से हो रहीं है, जबकि केंद्र में भाजपा सरकार ही जीडीपी को नहीं संभाल पा रही है। रकम बढ़ाने की वजह कोरोना में मास्क बाँटना और सेनेटाइजेशन को बताया जा रहा है। साथ ही चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के खर्च से सम्बंधित नियम-90 में संशोधन करने का प्रस्ताव भी  किया है ।

पिछले चुनाव में कुछ ऐसा था माहौल….

अगर 2015 के चुनावी खर्च पर एक नजर डालें तो सबसे ज्यादा भाजपा से दिनकर राम ने 27 लाख रूपये खर्च किये थे, और इसके बाद भाजपा से ही अशोक कुमार सिंह 26.91 लाख तो कांग्रेस से मो. जावेद ने 26.53 लाख खर्च किये थे। कुछ उम्मीदवारों ने कम से कम खर्च में भी चुनाव लड़ा था जिसमे जदयू से जय कुमार सिंह महज 52210 में चुनाव लड़े थे ।

क्या कहते हैं जानकार….

समाज विज्ञानी डॉ. डी एम दिवाकर ने इस प्रस्ताव को पैसे वाली पार्टियों के हक़ में बताया है। तो वहीं बिहार के प्रति व्यक्ति आय 26 हजार बताते हुए कहा कि अगर खर्च करने की राशि बढ़ाई गई तो कोई गरीब चुनाव नहीं लड़ पायेगा।  क्योंकि यहां 96.5 प्रतिशत सीमांत और लघु किसान हैं । साथ ही इस प्रस्ताव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मतदाताओं को बूथ तक ले जाने की जिम्मेवारी चुनाव आयोग के साथ राज्य और केंद्र सरकार की है। और कोरोना के वजह से चुनावी प्रचार में भी बदलाव किया गया है। इसलिए राशि नहीं बढ़नी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *