बिहार की इस विधानसभा सीट पर आज तक नहीं जीती है कांग्रेस….

Devesh P Singh

नालंदा, बिहार:

देश में कुछ जिले ऐसे हैं जो कभी भी कांग्रेस के गढ़ नहीं बन पाए हैं उन्हीं में से एक है बिहार का नालंदा जिला| वर्तमान में नालंदा जिले में 7 विधानसभा सीटें ( नालंदा, बिहारशरीफ, राजगीर, हिलसा, इस्लामपुर, हरनौत एवं आस्थावान) हैं| वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने यहाँ से 5 सीट, राजद ने 1 सीट, और 1 सीट भाजपा ने जीती  थी| नालंदा जिले की इन सभी विधानसभा सीटों पर पिछले 30 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का रिकॉर्ड शून्य रहा है|

प्रथम विधानसभा (1951) के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जिले की तीन सीटों इस्लामपुर, आस्थावान और बिहारशरीफ पर विजय हासिल की थी| वर्ष 1957 और 1962 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सिर्फ बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर चुनाव जीती थी|  चौथी विधानसभा वर्ष 1967 में कांग्रेस तीन विधानसभा सीटों “आस्थावान, हिल्सा, इस्लामपुर” पर चुनाव जीती थी|

नालंदा जिले की हरनौत और बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर कांग्रेस अभी तक एक बार भी चुनाव नहीं जीत पायी है| एवं अब तक के विधानसभा चुनावों में बिहारशरीफ सीट पर कांग्रेस सर्वाधिक पांच बार जीती है|   जबकि इस्लामपुर और आस्थावान सीट को कांग्रेस पार्टी ने चार बार जीता है|  कांग्रेस पार्टी ने हिल्सा विधानसभा सीट तीन बार जबकि नालंदा विधानसभा सीट 2 बार जीती है|

वर्ष 2010 में नालंदा जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा था इसमें-

  1. आस्थावान सीट पर कांग्रेस 4276 वोटों के साथ चौथे स्थान पर ,
  2. बिहारशरीफ में 1821 वोट लेकर सातवें स्थान पर,
  3. राजगीर में 6599 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर,
  4. इस्लामपुर में 4581 वोटों के साथ पांचवें स्थान पर,
  5. हिल्सा में 5472 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर
  6. नालंदा में 3443 वोटों के साथ चौथे स्थान पर तथा
  7. हरनौत में 2797 वोटों के साथ कांग्रेस पार्टी पांचवें स्थान पर रही थी|
विधानसभा सीटकांग्रेस द्वारा जीती गयी
नालंदा1977, 1985
राजगिरीकभी नहीं
इस्लामपुर1951, 1967, 1980, 1985
हिलसा1967, 1972, 1985
हरनौतकभी नहीं
आस्थावान1951,1967,1972, 1980
बिहारशरीफ1951, 1957, 1962, 1980,
नालंदा जिले की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की स्थिति

नालंदा जिले की बिहार शरीफ एक ऐसी सीट है जिस आजादी के बाद से भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा रहा है|देश की आज़ादी के बाद सर्वप्रथम हुए चुनाव में इस सीट को जनसंघ ने जीता था|

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