खाने को रोटी नहीं है किस्त कहां से भरें…
पूनम मसीह
मोरिटोरियम- सीधे और आसान भाषा में समझते हैं। आपके टर्म लोन पर ब्याज लिया जाएगा, जैसे आपने 1 लाख रु. 1 साल के लिए है। उसकी दो महीने के लिए किस्त दे दे, लेकिन तीसरे महीने से मोरिटोरियम करवा लेते हैं। जब आपने जो मोरिटोरियम करवाया उसके बाद से जो आपका पैसा बचता है उस पर रिजर्व बैंक ब्याज तय करेगा और उस ब्याज को वह अगले दस महीने की किस्त में जोड़ेगा और उसे 10 से भाग कर देगा, यानि अगर जो महीने लोन की किस्त भरने के बाद आपका लोन का मूलधन और ब्याज मिलाकर 85,000 बचाता है तो अब इस 85,000 के अमाउंट पर मान लीजिए आरबीआई 10 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज लेता है तो आपका अमाउंट 85,000+8500 =93,500 हो जाएगा और इसे आपके 10 महीने के बांट दिया जाएगा।
मोरिटोरियम से एक फायदा भी है, आरबीआई के नियमनुसार अगर आप तीन महीने लोन नहीं भरते है तो आपका नाम डिफोल्टर लिस्ट में नहीं जाएगा। जिससे आपको भविष्य में लोन लेने में परेशानी नहीं होगी।
लोनधारक महिलाओं को मोरिटोरियम के बारे में नहीं है जानकारी
विश्व में फैले कोरोना वायरस का भारत में आगमन जनवरी मे ही हो गया था। लेकिन इससे बचाव के लिए सरकार द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन मार्च महीने से शुरु किया गया। इस लॉकडाउन के साथ ही आमजन की परेशानियां भी बढ़ने लगी। जिसकी चपेट में सबसे ज्यादा मध्यमवर्ग और गरीब तबके के लोग आएं। लॉकडाउन के बाद लोगों को जो सबसे बड़ी चिंता सता रही थी वो थी उनकी ईएमआई की। सरकार द्वारा इसके लिए इंतजाम भी किया गए, लेकिन क्या वह इंतजाम लोगों के लिए पर्याप्त थे। सरकार द्वारा जो ऐलान किए गए क्या वह वाकई लोगों को समझ में आए।
शहरों में पढ़े लिखे लोगों को बहुत सारी चीजें आसानी से समझ में आ जाती है, लेकिन गांव कस्बों में स्मॉल फाइनेंस से लोन लेनी वाली महिलाओं को बहुत सारी जानकारी नहीं होती है। उनमें बहुत सारी महिलाएं ऐसी भी होती है जिन्हें पढ़ना लिखना भी नहीं आता है। मोरिटोरियम के बारे में जब उनसे बात की गई तो उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आया, लेकिन जैसे ही उनसे किस्त के बारे में पूछा गया था तो कुछ की बताते हुए आवाज ही भारी हो गई…
जमीनी हक़ीकत…
पहचान छुपाने की शर्त पर पश्चिम बंगाल के वर्धमान में कुछ महिलाओं ने इस बारे में बात की। उनका कहना था कि पहले तो हमें लगा कि लोन माफ कर दिया गया है लेकिन बाद में बैंक की तरफ से फोन आने लगे। फोन करके वो कहते कि कोविड 19 के कारण अभी आपसे किस्त नहीं ली जाएंगी जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा आपको सूचना दी जाएंगी कि अगली किस्त आपको कब भरनी है? यह वाकया लॉकडाउन के पहले चरण का है, लॉकडाउन 2.0 तक भी यही बात कही जा रही थी। लेकिन मई महीने में जैसे ही लॉकडाउन 3.0 जैसे शुरु हुआ हमारे पास किस्त भरने के लिए फोन आने लगे। हमें कहा जा रहा है कि आप ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण हम लोन की किस्त लेने आपके सेंटर नहीं आ पाएंगे, इसलिए आप ऑनलाइन किस्त भरें और अगर नहीं भरते तो आपको अतिरिक्त ब्याज भरना पड़ेगा। मन भारी कर एक महिला ने कहा हम लोगों के पास खाने की परेशानी है अब ये लोन की क़िस्त कहां से भरें।
यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहा हम आगे बढ़े और एक महिला ने हमसे बात करते हुए कहा कि सरकार बार-बार लॉकडाउन बढ़ा रही है। अगर ऐसा चलता रहा तो हमारा काम नहीं चल पाएगा और अगर काम नहीं चल पाएगा तो लोन कहां से भरेंगे? हम लोगों ने मांग की है कि हमें 31 मई के बाद भी अतिरिक्त समय दिया जाएं, क्योंकि लॉकडाउन खुलने के तुरंत बाद पैसे नहीं आ जाएंगे। कुछ दिन काम चलेगा तभी किस्त दी जा सकती है। सरकार हमारी परेशानियों को समझे और कोई उपाय निकाले। मोरिटोरियम के बारे में बात करने पर उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में कुछ पता नहीं है, लेकिन अगर अतिरिक्त पैसे लिए जाएंगे तो देने ही पड़ेगे और दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।
एक महिला का कहना है कि पहले पहल तो हमें लगा कि सरकार ने लोन माफ कर दिया है, कई महिलाएं इसको लेकर खुश हो गई है। लेकिन बाद में जानकारी दी गई कि लोन माफ नहीं हुआ है बस तीन महीने की छूट दी गई है। अब मई-जून में हमें किस्त भरने के लिए कहा जा है जबकि अभी तक तीन महीने पूरे भी नहीं हुए हैं। सरकार ने 31 मई तक का समय दिया था लेकिन अब किस्त भरने के लिए फोन मई महीने के पहले सप्ताह से ही आने लग गए हैं।
कुछ एक दो महिलाएं किस्त भरने में सक्षम है, लेकिन बाकी सभी ग्रुप की अन्य महिलाओं के घर में तो खाने की भी परेशानी हो रही है। इनसे जब पूछा गया कि आपको मोरिटोरियम या अतिरिक्त ब्याज के बारे में कुछ पता है? महिला ने बताया कि हां अगर तीन महीने बाद किस्त देगें तो जो तीन किस्ते छूट रही है उसमें ब्याज देना पड़ेगा। इन्हें भी इस बारे में जानकारी नहीं थी कि मोरिटोरियम क्या है और किस हिसाब से इनसे ब्याज लिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में भी महिलाओं से बात की गई, तो रुत नामक महिला ने बताया कि लोन लेने के लिए सर आएं तो थे। लेकिन हम लोगों ने उन्हें वापस भेज दिया, क्योंकि काम-धंधा तो चल नहीं रहा है जब काम शुरु होगा तब दिया जाएगा, इनका कहना था कि बेटा ऑटो चलाता है। लॉकडाउन के बाद से ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है ऑटो चल नहीं रहा है पैसे आने का दूसरा कोई साधन भी नहीं है इसलिए जब तक काम शुरु नहीं होगा पैसे आएंगे नहीं। जब काम शुरु होगा उसके बाद ही किस्त भरी जाएगी… मोरिटेरियम के बात करने पर उन्होंने बताया कि इसके बारे में तो पता नहीं है लेकिन तीन महीने की सरकार ने छूट दी है।
क्या कहना है बैंक वालों का…
इस बारे में हमने जब स्मॉल फाइनेंस बैंक के एक मैंनेजर से जब बात की उन्होंने बताया कि हां हमारा स्टाफ अब हर सेंटर में जाकर किस्त नहीं ले सकता है क्योंकि लॉकडाउन है और ऑफिस में अभी बहुत कम स्टाफ है, इसलिए हम अपने लोनधारकों से ऑनलाइन पैंमेट करने की गुजारिश कर रहे हैं।
वो कम से कम तीन में एक किस्त तो भर ही दें, हमें भी पता है लोगों के पास बहुत परेशानियां है लेकिन अगर वह क़िस्त भर देते है तो उनकी ही परेशानी कम होगी। मोरिटोरियम पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे लोनधारकों में बहुत कम ही लोग जो इसे समझ पाएंगे। मोटे तौर पर लोगों को बताया गया है कि अगर वह नहीं भरेंगे तो उन्हें अतिरिक्त पैसे देना पड़ेगा। बड़ी बात यह है कि लोगों को यह लगता है कि उन्होंने अतिरिक्त पैसे सिर्फ इन तीन महीने के किस्तों पर ही देना है, जबकि ऐसा नही है आरबीआई के नियमों के अनुसार आपको जितने महीने का लोन बाकी रह जाएगा, जबतक वह खत्म नहीं होगा आपको हर महीने मोरिटोरियम के तहत ब्याज देना पड़ेगा।
बात करते वक्त जब इनसे पूछा गया कि 31 मई आने वाली है और लॉकडाउन अभी तक खुला नहीं है, अगर 17 मई के बाद लॉकडाउन बढ़ा दिया है तो लोन की किस्त मिलने की संभावना और कम हो जाएंगी। इस पर बैंक द्वारा कोई कदम उठाएं जा रह हैं क्या? इस बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमें भी पता है कि गरीब तबका है इतनी जल्दी से पैसा कहां से लाएंगे? इसके लिए बैंकों द्वारा आरबीआई को पत्र लिखे जा रहे है ताकि लोगों को कुछ और दिन का समय दिया जाए।
वहीं ग्रामीण बैंक के मैनेजर प्रवीण गौड़ से जब बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोग मोरिटेरियम को समझ नही पा रहे हैं। जिन्हें इसका प्रभाव समझ में आ रहा है वो ईएमआई दे रहे हैं लेकिन कुछ लोग मजबूर है वो अभी नहीं दे पा रहे हैं क्यूंकि लोगों के कामधंधे बंद है। क्या कह सकते है लोग मजबूर हैं, बस उन्हें अतिरिक्त पैसा देना पड़ेगा। बड़ी बात यह है कि जिन लोगों का लोन का टर्म कम है उनके लिए तो थोड़ी राहत है लेकिन जिनका टर्म ज्यादा है उनको लिए थोड़ी परेशानी वाली बात तो है।
स्मॉल फाइनेंस बैंक और गाँव
इस प्रकार के लोन ज्यादातर छोटे शहरों, गाँव और कस्बों में महिलाओं को दिए जाते हैं। ताकि महिलाएं अपना कोई रोजगार खोलकर स्वावलंबी बन पाएं, यहां महिलाओं को ग्रुप में लोन दिया जाता है। यानि एक बड़े अमाउन्ट को कुछ महिलाओं में लोन के तौर पर दिया जाता है जिसे ग्रुप कहते हैं। लोन लेनी वाली ज्यादातर महिलाएं मध्यमवर्ग एवं गरीब तबके से आती हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाएं ऐसी है जहां रोज कमाने खाने वाला हिसाब है। लेकिन अब लॉकडाउन के कारण लोगों के कामधंधे बंद है, जिसके कारण पैसे आने का दूसरा कोई साधन नहीं है।