यादें याद आती हैं, इरफ़ान अब भी लाखों दिलों पर राज कर रहे हैं…….
पूनम मसीह
कुछ वर्ष पहले की बात है मेरे एक सीनियर बड़े शान से कहते हैं “लैजेंड्स आर बोर्न इन अप्रैल”। मैंने उनकी बात सुनी और एक बार पूरा दिमाग घुमाया याद आया घर के सारे टैलेंटेड लोग अप्रैल में ही पैदा हुए हैं। उसके कुछ सालों बाद तक भी दिमाग में ये नहीं आया कि ‘लैजेंड्स आर डाइ इन अप्रैल’ भी हो सकता है। कोरोना के दौरान यह बात भी सच हो गई। 29 अप्रैल को हमारे लैजेंड्सकलाकार इरफ़ान खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सिनेमा जगत के साथ-साथ कला प्रेमियों के लिए एक बड़ा झटका था। इंतकाल से एकदिन पहले इरफ़ान की बीमार होने की खबर आई। दूसरे दिन सुबह 11 बजे उनकी आखिरी सांस की खबर आग की तरह हर जगह फैल गई। लोगों को एक गहरा झटका लगा। मुझे खुद व्यक्तिगत तौर पर बहुत ज्यादा पीड़ा हुई। इससे पहले भी कई कलाकारों का इंतकाल हुआ लेकिन इतना फर्क कभी नहीं पड़ा, इरफ़ान की मौत ने सिर्फ मुझे ही नहीं मुझ जैसे कई लोगों को अंदर तक तोड़कर रख दिया। कई दिनों तक लोग इस गम में रहे हैं। श्रद्धांजलि के तौर पर कई लोगों ने उनकी फिल्में देखी। मैं भी उनमें से एक हूं। मैंने इरफ़ान के जीते जी उनकी बहुत फिल्में नहीं देखी थी। या यूं कह सकते है उनकी उस कला को उस लेवल तक कभी देखा ही नही। इस कड़ी में मैं ही नहीं थी मुझ जैसे बहुत सारे लोग थे जिन्होंने उनके मरणोपरांत उनकी कला को ज्यादा अच्छी तरह से पहचाना होगा। आज इरफ़ान को मरे हुए लगभग 40 दिन हो गए हैं लेकिन आज भी सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड करते हैं। लोगों का उनके प्रति जो प्यार है वो आज भी साफ झलकता है।
आवाज और आंखों का तो कहना ही क्या…..
इरफ़ान के इंतकाल से पहले उनकी एक आखिरी फिल्म आई अंग्रेजी मीडियम। लॉकडाउन के कारण लोग थियेटर में नहीं देख पाए। ज्यादातर लोगों ने यह फिल्म उनके इंतकाल के बाद देखी। फेसबुक पर मेरे एक फ्रेंड ने बड़ी अच्छी बात लिखी ‘आप सब कर सकते है लेकिन पूरी फिल्म में इरफ़ान से अपनी नजर नहीं हटा सकते हैं’। मैंने भी बाद में देखी क्या एक्टिंग थी। वैसे इरफ़ान की एक्टिंग के लिए शब्दों की जरुरत नहीं है। मेरे कई जानकार थे जिन्होंने कई दिनों तक लगातार इरफ़ान की मूवियां देखी। लोगों के अंदर एक क्रेज सा हो गया था। अभी कुछ दिन पहले मेरे एक जानकार ने लिखा था “इरफ़ान कभी मरते नहीं” यह बात भी सही है। शारीरिक तौर पर भले ही उनका इंतकाल हो गया हो लेकिन उनकी एक्टिंग हमेशा हमें उनके आसपास होने का एहसास दिलाती है। इरफ़ान के इंतकाल से पहले मैंने उनकी दो तीन फिल्में ही देखी थीं उससे पहले तो मैंने कभी इतनी गहराई से उनकी एक्टिंग भी नहीं देखी थी। लेकिन इंतकाल के बाद तो लगातार कई फिल्मे देखीं, फिल्म की स्टोरी भले ही अच्छी न लगी हो लेकिन उनकी आंखें और आवाज मूवी देखने के लिए मजबूर करती हैं। कई इंटरव्यू देखे एक ही चीज अच्छी लगी वह थी उनकी जिंदादिली, वरना अब तक मुझे लगता था कि वह बड़े ही घमंडी किस्म के इंसान होगें। इस वजह से कई बार देखना भी नहीं चाहा। लेकिन सारा भ्रम इन इंटरव्यू ने तोड़ दिया।
इंडस्ट्री में भी अकेला था, मरने के बाद भी भीड़ एकत्र नहीं हो पायी….
इरफ़ान के इंतकाल वाले दिन एक सन्नाटा सा पसर गया। लेकिन इंडस्ट्री में अपनी एक्टिंग के मामले एकदम ही अलग थे। जाते वक्त भी भीड़ से अलग होकर गए। जहां एक ओर कलाकारों के इंतकाल में लोगों को बड़ा हुजूम होता था वहीं यहां मामला एकदम अलग था। मात्र 20 लोगों के साथ आखिरी यात्रा संपन्न हुई। आखिरी यात्रा के बाद इरफ़ान के बेस्ट फ्रैंड तिग्मांशु धूलिया ने कहा अभी तक तो इरफ़ान जैसा बॉलीवुड में कोई हुआ ही नहीं है आगे अगर कोई हो जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता। उनके कहने का साफ मतलब था उनकी एक्टिंग की बराबरी अभी तक कोई नहीं कर पाया। इरफ़ान लाइन इन अ मेट्रो के ‘मोंटी’ से लेकर लंचबॉक्स के ‘फर्नाडीज’ तक हर जगह फिट थे। एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू में कहा कि इरफ़ान भाई को वो जगह नहीं मिली जिसके वह हकदार थे। इस कारण बहुत लोग समय रहते उन्हें गहराई से समझ नहीं पाए।