कोरोना काल में इनकी मेहनत देखकर भौंचक्के रह जायेंगे आप
सुमित सिंह विशेन
महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते है, महामारी के दौर में इस वक्तव्य को आज इन सब्जी और फल विक्रेताओं ने सिद्ध किया है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन में लोग अपने घरों में महफूज है। इसीलिए डोर-टू-डोर सब्जियां और फल पहुँचने का कार्य सब्जी और फल वाले कर रहें है। इनको हर दिन 16 घंटे से अधिक काम करना पड़ रहा हैं, ताकि हमारी थाली और पेट दोनों खाली न रहें।
ऐसा ही उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के सब्जी विक्रेता नागेंद्र जायसवाल बताते है कि वो रात 2 बजे ही सब्जी मंडी में खरीदारी के लिए चले जाते है और उनके इस कार्य में 4 और साथी इनकी सहायता करते हैं। जो भोर में सब्जी की गाड़ी लेकर मंडी में पहुँचते है। कुछ ऐसा ही फल विक्रेता लालजी वर्मा और गोविंद वर्मा ने भी बताया कि हम फल का व्यापार इस समय इसीलिए कर रहे है ताकि लोगों को कोई दिक्कत नही उठानी पड़े और लोगों में सोशल डिस्टेंस भी बना रहे। साथ ही कोरोना संक्रमण का फैलने का डर भी बना रहता है, इसलिए व्यवस्थित रूप फल एवं सब्जियों को साफ़ कर किया जाता है… जिन गाड़ियों से माल एवं सब्जी सप्लाई करने का कार्य किया जाता उसे एक दिन पहले रोज सेनेटाइज किया जाता है, मास्क, दस्ताने पहनकर सब्जियों और फल फलों को रखा जाता है। जिससे कोरोना फैलने की चैन टूटी रहेगी, इसलिए हम मंडी के बाहर रात 1 बजे को ही फल खरीदने पहुंच जाते है।
ये लोग दिन में खाने पीने का सामान अपने साथ ही रखते है तो कभी-कभी इन्हें भी भूखे ही रहना पड़ता है। फिर भी डोर-टू-डोर सब्जियां और फल पहुंचाने में लगे रहते है। ऐसे ही सैकड़ों विक्रेता दिन रात मुस्कुराते हुए अपनी सेवा दे रहें है। आपातकाल में लगभग हर किसी की परीक्षा हो ही जाती है। ऐसे में फल और सब्जी विक्रेताओं के साथ किसान भाइयों ने ये परीक्षा पास कर ली।
इनकी दिनचर्या-
नागेंद्र बताते है कि वो रात 2 बजे उठकर पहले सब्जी मंडी जाते है। उसके बाद अपने साथी रामअवध, सुधीर, संभु और सिद्धू को सुबह 4 बजे सब्जी की गाड़ी के साथ बुला लेते है और दिनभर घर-घर सब्जियां बेचकर ये रात 9 बजे घर वापस आते है। वही लालजी वर्मा भी 1 बजे फल मंडी पहुंच जाते है । इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये लोग 10 बजे सोते है और करीब 2 बजे रात को उठ जाते है। इस संकट काल में ये लोग 19 घंटों की सेवा दे रहे है।
इनका मानना है कि ईश्वर ने हमें जन्म इसलिए दिया है कि हम संसार में अच्छे काम करे और बुरे वक्त में एक दूसरे का साथ दे, लोगो की सदैव मदद करें। इन सब्जी विक्रेताओं ने बताया, लोग इनको पहले कहते थे कि पढ़ोगे नही तो सब्जी या फल ही बेचना पड़ेगा, पर आज हमें गर्व महसूस होता है कि हम इस संकट काल में लोगों की थाली में ताजी सब्जियां और मीठे फल पहुंचा रहे है, हर संभव प्रयास करते हैं और निर्धारित मूल्य पर ही सब्जियां और फल बेचते हैं।
हर किसको अपनी नींद प्यारी होती है लेकिन ये लोग पिछले 23 दिनों से बिना नींद पूरी किये ही कार्य करने में लगे है। इनके इसी सोच और जज्बे को सलाम है। ऐसे में इन सब्जी और फल वालों का योगदान सराहनीय है, इनका अदम्य प्रयास निश्चित तौर पर हमारे लिए सर्वोत्तम होना चाहिए यही भारत की एकता है जो किसी भी तरह की महामारी से लड़ने में आवश्यक है।