शरीर के भूगोल से इतर, हाँ मैंने समझा है उसे….

मौसम जायसवाल हाँ मैनें समझा है उसेशरीर के भूगोल से इतरसमाज की दकियानूसी सोच से इतरहम सबके भीतर जड़ कर

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गुलाम-ए-आराम-जिन्दगी

मौसम जायसवाल – 19/05/2020 9:44 AM

ज़िंदगी चल नहीं रही, तसल्ली से किसी कोने में पड़ी आराम फ़रमा रही है।
ऐसा लगता है मानों मैं कोई मानव नहीं मशीन हो गया हूँ।

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