एम एस धोनी: एक इंसान कई पहचान

कुमार मौसम

धोनी बस एक नाम नहीं जिसे याद रखा या भूला जा सकता है। धोनी क्रिकेट का वो दौर है जिसनें भारतीय क्रिकेट का सुनहरा इतिहास लिखा। धोनी छोटे शहरों और कस्बों में पल रहे उन क्रिकेटरों का भविष्य है जिनकी आंखों में कल तक देश के लिए खेलने का सपना तो होता था पर उनमें इस सपनें को सच करने का विश्वास और भरोसा नहीं होता था। क्रिकेट के वो फैन जो सोते वक़्त भी क्रिकेट को जीते थे और जागते वक़्त भी क्रिकेट के ही सपनें देखते थे। धोनी उनके लिए वो अलादीन का चिराग था जिसनें भारत को न सिर्फ विश्व विजेता बनाया बल्कि क्रिकेट के हर फॉर्मेट में नंबर 1 भी बनाया। धोनी छोटे शहर से निकला हुआ वो धमाका था जिसनें भारतीय क्रिकेट को विदेशी सरजमीं पर जीत के फटाखें फोड़ने का हुनर सिखाया।

धोनी विकेट के पीछे खड़ा वो जादूगर था जो हाथ से निकलते मैच के नाज़ुक पलों में भी अपनी चतुराई और प्लानिंग से विपक्षियों के विकेट में सेंध लगा जाता था। धोनी भारतीय क्रिकेट के तुरुप का वो इक्का था जिसके बस मैदान पर खड़े रहने भर से भारत की जीत सुनिश्चित हो जाती थी। धोनी एक ज़िद का नाम है जिसनें पूरी दुनिया को एक बिहारी की जीवटता, लगनशीलता और विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने के हुनर का एहसास कराया। चाहे वो 2007 के T-20 वर्ल्ड कप फाइनल में गैर अनुभवी जोगिंदर शर्मा से आख़िरी ओवर करवाने का फैसला हो या 2016 के T-20 में बांग्लादेश के 3 बॉल में 3 रन वाला मैच। गिनती करने बैठे तो ऐसे ढ़ेरों मौके मिल जाएंगे जब धोनी नें अपनें फैसलें, अपनी प्रजेंस ऑफ माइंड और अपनी चपलता से न सिर्फ विपक्षी टीम को हतप्रभ किया है बल्कि उनके मुँह से जीत छीनकर हर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जश्न मनाने का एक मौका भी दिया।

धोनी क्रिकेट का वो पर्याय है जिसे पूरी दुनिया कैप्टन कूल के नाम से जानती है। जिसे मैदान के अंदर या बाहर शायद ही किसी नें अपना आपा खोते हुए देखा होगा। भारतीय क्रिकेट में एक से एक बड़े से बड़े खिलाड़ी हुए है और आगे भी होंगे। पर क्रिकेट इतिहास में धोनी जैसा न कोई हुआ है न होगा। क्योंकि धोनी सिर्फ एक क्रिकेटर का नहीं एक एहसास का नाम है। वो एहसास जिससे सचिन नें प्यार करना सिखाया, तो गांगुली नें उस एहसास के सपने संजोना पर धोनी नें उन एहसासों को उन सपनों को सच करना सिखाया, जिसे हर क्रिकेट टीम, हर फैन जीना चाहता है।

धोनी का यूँ अचानक सन्यास की घोषणा करना स्तब्ध तो करता है पर हमें धोनी के इस फैसले को भी वैसे ही स्वीकार करना होगा जैसे मैदान पर लिए उसके हर फैसले को हम स्वीकार करते आए हैं। धोनी नें क्रिकेट जगत को जो कुछ भी दिया है उसके लिए उनका धन्यवाद।

अब वो क्रीज़ पर भले ना उतरें लेकिन मुझे यक़ीन है कि MS Dhoni का सफ़रनामा सदियों तक क्रिकेट की नयी पौध को ऊर्जा देता रहेगा

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