नारी शक्ति: जुनून की यह कहानी ओडिशा से आयी है….
Team VOB
ऐसे तो आपने महिलाओं की बेहतर कार्यशैली के कई किस्से सुने होंगे, पर अभी महामारी में जज्बे और जुनून से भरी यह कहानी ओडिशा राज्य के कोरापुट जिले से आई है। और यह कहानी है सामान्य से भी नीचे की जिन्दगी गुजार रहे मजदूर रमेश शशंकर की बेटी सलोनी शशंकर की। सलोनी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का किओस्क चलातीं हैं। जिसमे ग्राहक को सर्विस मुहैया कराने पर सलोनी को कमीशन मिलता है। सलोनी बाकियों कुछ अलग हैं, उनकी कार्यशैली बेहतर है इसीलिए आजकल वो चर्चा में हैं।
इस आपदा में सलोनी ने निकाला नया रास्ता:
यह समय वैश्विक महामारी की चपेट में है और लगभग 5 महीने से सामान्य आवागमन पूरी तरह से ठप है ऐसे में सलोनी ने लोगों की जरूरतों को देखते हुए अपने किओस्क को चलता फिरता बना लिया। संक्रमण के इस दौर में पिछले पांच माह में सलोनी ने 7000 से भी अधिक लोगों को बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है यानी कि हर दिन औसतन 50 लोगों तक उन्होंने बैंक सुविधा उपलब्ध कराई है। यह उन सभी कर्मचारियों के लिए एक सबक भी है जो एक जगह बैठकर भी काम करने में आना-कानी करते हैं।
कुछ ऐसी है सलोनी की दिनचर्या….
एक आम इंसान की ही तरह सलोनी सुबह अपने घर के सभी काम काजों को ख़त्म कर अपनी ड्यूटी की शुरुआत करती हैं। सुबह 8 बजे अपनी बाइक लेकर निकल जाती हैं आसपास के 9 गावों में वह अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं। इन गावों में नेटवर्क की पहुँच बहुत अच्छी नहीं है इसलिए जहाँ भी सिग्नल पकड़ता है वहीँ सलोनी अपने लैपटॉप को ऑन कर लेतीं हैं। और लोगों को पैसा उपलब्ध कराने से लेकर बैंकिंग प्रणाली की अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराती हैं।
पैसे उधार लेकर किया है लैपटॉप का इंतजाम….
किओस्क चलाने के लिए सलोनी के पास कंप्यूटर सिस्टम तो है लकिन लैपटॉप नहीं था, लॉकडाउन में कंप्यूटर लेकर तो गाँव-गाँव जाया नहीं जा सकता ऐसे में सलोनी ने अपने दोस्तों से रुपये उधार लेकर एक नया लैपटॉप खरीदा और अपनी घर पर उपस्थित बाइक से वह सुबह 8 बजे घर से निकल जाती हैं और शाम 5 बजे तक वह अपने कार्य में संलग्न रहतीं हैं। सलोनी के पिता मजदूर हैं लेकिन कार्यकुशलता से लबरेज सलोनी अपने आप को कभी हीन महसूस नहीं होने देतीं।