हालात-ए-कोरोना: सांसत में मरीज, डॉक्टर साहब केबिन में है….

Sumit Singh Vishen

देवरिया उ.प्र., कोरोना काल में हर कोई अपने आप को संक्रमण से बचाने में लगा है लोग मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग कर रहें है। आवश्यक होने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें भी लोगो से बचाव के उपाय अपनाने की हिदायतें दे रही हैं। वही देवरिया शहर में एक ऐसा भी प्राइवेट हॉस्पिटल देखने को मिला है जहां मरीजों को सड़क पर इंतजार करना पड़ रहा है। धूप हो या बारिश डॉक्टर साहब की शख्त हिदायत है कि मरीज का नंबर आने पर ही अंदर बुलाया जाए।

ये हाल है फेफड़े और श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सी.पी.मल्ल के हॉस्पिटल का जहाँ मरीजों को घंटों सड़क पर ही इंतजार करना पड़ रहा है वो महिला हो या पुरूष।

इन डॉक्टर साहब को मरीजों की कोई परवाह ही नही। फीस लेकर भी मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार कहा तक उचित है? ऐसे डॉक्टरों पर प्रशासन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को शख़्त से शख़्त कार्यवाही करनी चाहिए। इंसानियत के तर्ज पर भी डॉक्टर साहब को मरीजों के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। जिस तरह से शहर के और प्राइवेट अस्पतालों ने अपने वहां मरीज जहा बैठते है वहां समय समय पर सेनेटाइजिंग और साफ सफाई की व्यवस्था कर रखी है। उसी के तर्ज पर भी डॉक्टर साहब को व्यवस्था करनी चाहिए। मरीज पिसते जा रहें है इनका दर्द समझने को कोई भी तैयार नहीं है।

फाइल फोटो

कुछ कोरोना योद्धा जी-जान से लगे हैं….

वही दूसरी ओर कोरोना संकट काल में खुद की परवाह किए बिना कुछ डॉक्टर्स कोरोना को हराने में जुटे है। इनके जज्बे का अंदाजा इसी बात लगाया जा सकता है कि हर समय PPE किट पहन कर सेवा में लगें है। डॉक्टरों के सामने कई उतार-चढ़ाव आएं परंतु योद्धा डॉक्टर्स ने हार नही मानी। मरीजों की सेवा कर अपना डॉक्टर धर्म निभाने में लगें हैं। पीपीई किट पहन कर वार्ड में बैठे रहते और मरीज के आते ही उसे संभालने में जुट जाते। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव आये परंतु कोरोना के मरीजों की सेवा ने सब कुछ अनदेखा किया और आज भी दिल से कोरोना के मरीजों की सेवा कर रहे हैं।

सरकारी अस्पताल में ओपीडी में कमी के कारण इस समय अधिक से अधिक मरीजों को निजी डॉक्टरों से ही परामर्श लेना पड़ रहा है। जहा डॉक्टरस की मनमानियों को भी सहना पड़ रहा है। इस महामारी में स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का हाल देख लें, डॉक्टर साहब अपने कैबिन में हैं मरीजों के लिए रोड पर व्यवस्था सुनिश्चित है। मानवाधिकार और व्यक्ति की गरिमा साहब के जूती पर है।

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