ये बिहारी व्यंजन खाओ, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाओ…
श्रुति
विश्वभर में अपनी जड़े मजबूत कर चुका कोरोना वायरस भारत के भी सभी राज्यों को अपना निशाना बना चुका है। कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी के रूप में उभर कर सामने आया है जिससे पूरा विश्व जूझ रहा है। विश्वभर में कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ते जा रहे हैं, जिसके कारण मरने वालों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। विश्व में आबादी के हिसाब दूसरी स्थान रखने वाला भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या लगभग 1 लाख 32 हजार के पार पहुँच चुकी है और लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं।
COVID-19 को वैश्विक महामारी के रूप में WHO ने घोषित कर दिया। जैसा की सभी जानते है कि इस महामारी की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। अतः इस रोग से बचने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का उपाय करना ही बेहतर विकल्प होगा। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयुर्वेदिक ग्रंथों एवं वैज्ञानिक पत्रों पर आधारित श्वसन तंत्र, स्वास्थ्य संबंधी बचाव और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए “स्वयं-देखभाल” का दिशा-निर्देश जारी किया गया। जिसके अनुसार हमें जितना हो सके गर्म तासीर और रोग प्रतिरोग क्षमता बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
इन सभी आधारों को ध्यान में रखते हुए अगर बात करें बिहार के रोजमर्रा जीवन और पारंपरिक खानों की तो वहां के लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है, बशर्ते जो लोग तेजी से बढ़ती फास्टफूड की दुनिया को अपना चुके हैं। बिहार के पारंपरिक व्यंजनों में लिट्टी-चोखा और दही-चिउड़ा/चुड़ा/चिवड़ा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इनमें वो औषधिक गुण है जिसके सेवन से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही आपके शरीर के रोग बिना डॉक्टर के पास जाए काफ़ूर हो जाएंगे।
दही-चिउड़ा:
बिहारियों का पसंदीदा नास्ता दही-चिउड़ा है। जिसे आज-कल की फास्टफूड खाने वाले जेनरेशन को खाना शायद लज्जा की बात है। तभी तो ये पारंपरिक नास्ता अब हर घर की थालियों से कही निकलता नज़र आ रहा है। दही-चिउड़ा ये सुनने में मात्र दो शब्द है किन्तु ये अपने आप में एक सम्पूर्ण आहार है। जो हमारे शरीर की पाचन-तंत्र क्रिया को मजबूत और पेट को लम्बे समय तक भरा रखता है। बड़े-बुजुर्गों के साथ हमारा विज्ञान भी ये मानता है की सुबह का नास्ता हर व्यक्ति को राजा की तरह करना चाहिए अर्थात पेटभर करना चाहिए जिससे लम्बे समय तक आपको काम करने की ऊर्जा प्रदान करे।
दही में कैल्शियम, विटामिन डी, बी6 और बी12 के साथ पोटेशियम पाया जाता है जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत रखता है और खाने को अच्छी तरह पचाने में सहायता करता है। इसके साथ ही दही के सेवन से शरीर का पीएच लेवल संतुलन रहता है और पेट की गर्मी को शांत कर यह गैस से बचाता है।
गुड़:
दही-चिउड़ा के साथ हमेशा से गुड़ खाने की परम्परा रही है। गुड़ एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे आदिकाल से मीठे की तौर पर प्रयोग किया जाता रहा है। ये औषधिक गुणों से भरपूर है, इसके नियमित सेवन से शरीर निरोगी और स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद के अनुसार गुड़ का सेवन पेट के रोगों लिए रामबाण इलाज़ है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होने के साथ इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मौजूद होती है।
चिवड़ा को दही के साथ दिन के पहले आहार के रूप में खाया जाता है। यह न केवल हमारे पेट को लम्बे समय तक भरा रखता है, बल्कि पाचन क्रिया को आसन भी बनाता है और साथ ही यह तुरंत उर्जा प्रदान करता है। चिवड़ा, चावल से बना एक समतल रूप होता है जो शरीर में फाइबर की मात्रा प्रदान करता है। इसमें युक्त फाइबर, पोषक तत्व, आयरन पाचन तंत्र को सुचारू बनाता है और आंतो को स्वस्थ भी रखता है।
लिट्टी-चोखा:
बिहार मतलब लिट्टी-चोखा, लिट्टी-चोखा दुनियाभर में प्रसिद्ध बिहार राज्य के विशेष व्यंजनों में से एक है। इसको हर उम्र के व्यक्ति द्वारा पसंद किया जाता है। इसमें मौजूद सामग्री सत्तू, निम्बू, अदरक, लहसुन, प्याज, मिर्ची, अजवाइन, घी इत्यादि शरीर के लिए फायदेमंद है और सत्तू पोषक तत्वों से भरपूर और गर्मियों में अमृत के समान है। बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याएं घेर लेती है। जिनमें ख़राब पाचन, पेट फूलना, कब्ज, एसिडिटी और भी अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जाती है, इसमें सत्तू काफ़ी लाभदायक होता है। सत्तू एक प्रकार का एनर्जी बूस्टर भी है।
लिट्टी को लेकर बिहार की यह कहावत खूब मशहूर है:-
“माई बिसरी, बाबू बिसरी पर ई लिट्टी चोखा न बिसरी”
इन सभी के साथ ही बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड के लोग अपने घरों में खाना पकाने के लिए सरसों तेल का इस्तेमाल करते है। सरसों का तेल हमारे खानों का स्वाद बढ़ाने के साथ ही शरीर को स्वस्थ भी बनाता है। एक रिसर्च में पाया गया है की सरसों के तेल में खाना बनाने से कोरोनरी आर्टरी डिजीज से 70% तक बचा जा सकता है। सरसों तेल भूख बढ़ाने में भी मददगार होता है इसके साथ ही ये शरीर को दुरुस्त रखने में भी लाभदायक होता है।
ये सारे पारंपरिक व्यंजन हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने का कार्य करते है। जो हमें किसी भी तरह की बिमारियों से अपने शरीर को लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। बिहार जैसे 99.02 मिलियन (2011 के जनसंख्या सर्वे के अनुसार) वाले जनसंख्या और मेडिकल सुविधा के अभाव जैसे राज्य में COVID 19 महामारी को पहले स्टेज पर रोकना तो आसान है परन्तु इसके फैलने के बाद रोकना मुश्किल विषय है। इसे तभी रोका जा सकता है जब हम पहले से हर रूप में सावधानी बरते, क्यूंकि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। भारत सरकार द्वारा दिए गये दिशा-निर्देशों का खुद भी सख्ती से पालन करें और दूसरों को भी पालन करने के लिए जागरूक करें।