Middle Class…
पवन मालू
यह कोई नायक नहीं है,
ना ही यह खलनायक बन पाता है।
ज़िंदगी की भाग दौड़ में,
अक्सर बीच में रह जाता है।
ना सपने पूरे कर पाता है,
ना ही उनसे दूर रह पाता है।
लेकिन तराज़ू के काँटे की तरह…. संसार का संतुलन यही बनाता है,
प्यार से यह, Middle Class कहलाता है।
ना इसे गिड़गिड़ाना आता है,
ना इसे छीनना आता है।
इसे तो केवल अपनी इच्छाओं को,
प्यार से फुसलाना आता है।
कभी अमीर का सारथी बन जाता है,
कभी गरीब का साथी बन जाता है।
लेकिन खुद की सहायता के लिए…. कुछ नहीं मांग पाता है,
खुद्दार है यह Middle Class कहलाता है।
कलाकार तो यह भी है,
लेकिन कामयाब नहीं।
मजबूर तो यह भी है,
लेकिन मज़दूर नहीं।
मुश्किल में तो यह भी है,
लेकिन मशहूर नहीं, शायद इसीलिए…
समस्या में तो यह भी है।
लेकिन समाचार में नहीं।
यह भीड़ में धक्के खा लेता है,
आमदनी के ताने सुन लेता है।
उदास होकर जी लेता है,
कड़वे सच पी लेता है।
थोड़ा क़िस्मत को कोस लेता है,
मन ही मन रो लेता है।
किश्तों पर कट रही ज़िंदगी से,
पीछा नहीं छुड़ा पाता है।
लेकिन हैसियत के मुखौटे से,
मुस्कुराकर हर दुःख भूल जाता है।
समझौता तो नस नस में है इसके,
होशियारी से मन को बहलता है।
होशियार है यह, Middle Class कहलता है,
समझदार है यह, Middle Class कहलता है।
Behtareem, bahut badiya, har middle class ki kahni