मैं तुझे लेने आयी हूँ….!
✍रुची शुक्ला हर रात मेरे ख़यालों में कोई बोलती है आँखें जब भी मेरी वो खोलती है सिर्फ गहरी साँसे
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Read more✍Dhirendra Shukla मौत को मौत समझते हैं, ऐसा क्यों लोग समझते हैं। बला है मगर खूबसूरत है, लोग इस मौत
Read more✍ पूजा कुमारी “धानी” गिरते हुए पत्तों की खड़खड़ाहट कभी सुनी है, वह आह है उनकी जो आती है समूचे
Read more✍Kapil Pruthi बाप बाप होता है, थोड़ा सख्त होता है। भगवान का रूप होता है, धूप में छांव होता है।
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